Friday, January 13, 2012

जूनून


यह तुम्हारे जीत का जश्न है!

या मेरे हारने का अफ़सोस

एक जूनून बनकर

जो मेरे लहू में दौड़ता रहता है!



वह आखिर है  क्या बला?

जो रोज़ याद दिलाती है!

यह तो सिर्फ मिल का पत्थर

मंजिल तो अभी और भी आगे है!

- By Me!

Incidentally this is also my first post in Hindi!

1 comment:

सौरभ said...

बहुत बढिया...